Last Updated On: 17/04/2023

आर.टी.आई. के 17 नियम

आर.टी.आई. नियमावली

आर.टी.आई. के 17 नियम


इस दस्तावेज़ में सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की आवश्यकताओं के अनुसार 17 नियमावली के रुप में संकलित जानकारी है|

इस पुस्तिका की पृष्ठभूमि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (आर.टी.आई. अधिनियम)
इस पुस्तिका का उद्देश्य / प्रयोजन संस्थान और सूचना के स्रोत के बारे में जानकारी प्रदान करना|
इस पुस्तिका के उपयोगकर्ता संस्थान के छात्र और कर्मचारी, आम जनता आदि|
पुस्तिका में जानकारी का व्यवस्थापन आर.टी.आई. अधिनियम के दिशा-निर्देशों के अनुसार।
संपर्क व्यक्ति कुलसचिव,
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की,
रुड़की -247667 (यू.के.),
टेलीफोन - (01332) 285311
आईआईटी रुड़की के बारे में


भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की, उच्च तकनीकी शिक्षा व बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान में राष्ट्रीय महत्व से जुड़े सभी संस्थानों में सबसे अग्रणी है| अपनी स्थापना के बाद से, संस्थान ने देश को अनुसंधान की खोज में ज्यादा से ज्यादा तकनीकी व अनुभवी लोग प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तकनीकी संस्थानों में शामिल है व इसने तकनीकी विकास के सभी क्षेत्रों में योगदान दिया है। इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र के साथ - साथ शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी एक विन्यासक माना जाता है।

संस्थान ने अक्टूबर 1996 में अपने अस्तित्व में आने के 150 वर्ष पूरे किए। 21 सितंबर, 2001 को, भारत सरकार द्वारा जारी एक अध्यादेश में इसे देश का सातवां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान घोषित किया गया। आई.आई.टी. रुडकी को “राष्ट्रीय महत्व का संस्थान” बनाने के लिए संसद द्वारा अध्यादेश को अब एक अधिनियम में परिवर्तित कर दिया गया है ।
संस्थान इंजीनियरिंग और वास्तुकला के 11 विषयों में स्नातक डिग्री पाठ्यक्रम और इंजीनियरिंग, अनुप्रयुक्त विज्ञान, वास्तुकला एवं योजना के 51 विषयों में स्नातकोत्तर की डिग्री प्रदान करता है| संस्थान में सभी विभागों और अनुसंधान केंद्रों में डॉक्टरेट कार्य की सुविधा है।
संस्थान छात्रों को बी.टेक करने के लिए प्रवेश की अनुमति प्रदान करता है। संस्थान द्वारा छात्रों के लिए पूरे भारत के विभिन्न केंद्रों पर विभिन्न परीक्षाएँ आयोजित की जाती है, जिनमे संस्थान संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे.ई.ई) के माध्यम से छात्रों को बी.टेक व वास्तुकला में स्नातक के लिए व, अखिल भारतीय प्रतियोगिता के माध्यम से एम.टेक व पी.एच.डी कार्यक्रमों में, संयुक्त प्रबंधन योग्यता परीक्षा (JMAT) के माध्यम से एम.बी.ए में, संयक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से एम.एस.सी. में प्रवेश की अनुमति प्रदान करता है|

विजन
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नए विचारों और नवोन्मेष एवं सभी भारतीयों के लिए गर्व का स्रोत बने रहना।
मिशन
एक ऐसा वातावरण तैयार करना जो बौद्धिक रूप से सक्षम, नवीन, उद्यमशील व अनुभवी के विकास को बढ़ावा दे, जो उद्योग के साथ सहकारिता में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान दे सकें और राष्ट्र और मानव जाति के कल्याण के लिए इसका विकास और उपयोग करें।

कार्य और कर्तव्य
आईआईटी रुड़की राष्ट्रीय महत्व की दृष्टि से एक ऐसा संस्थान है जिसे संसद द्वारा संस्थान प्रौद्योगिकी अधिनियम 1961 के माध्यम से बनाया गया है| इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन, संस्थान इन शक्तियों का प्रयोग व इन कर्तव्यों का पालन कर सकता है, जो कि निम्नलिखित है –

(क) इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, विज्ञान और कला की ऐसी शाखाओं में निर्देश और अनुसंधान प्रदान करने हेतु, जैसा भी संस्थान उचित समझे व ऐसी शाखाओं में ज्ञान की उन्नति और प्रसार के लिए।

(ख) परीक्षायें आयोजित करने, डिग्री अनुदान, डिप्लोमा और अन्य शैक्षणिक उपाधि हेतु ।

(ग) मानद उपाधि या अन्य सम्मान करने हेतु।

(घ) फीस व अन्य शुल्क तय करने, प्राप्त करने और मांग हेतु |

(ङ) छात्रों के निवास के लिए हॉल और छात्रावासों की स्थापना, रखरखाव और प्रबंधन करने हेतु|

(च) निवास की देखरेख और नियंत्रण के लिए और छात्रों के अनुशासन नियंत्रण और उनके स्वास्थ्य, सामान्य कल्याण और सांस्कृतिक और उद्योग जीवन को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्था करने हेतु|

(छ) संस्थान के छात्रों के लिए राष्ट्रीय कैडेट कोर की इकाइयों के रखरखाव हेतु|

(ज) शैक्षणिक और अन्य पदों के लिए नियुक्ति हेतु| (केवल निदेशक के मामले को छोड़कर)।

(झ) विधियों और अध्यादेशों की रूपरेखा को तैयार करने और उन्ही को बदलने, संशोधित करने अथवा बनाए रखने हेतु|

(ञ) संस्थान जैसे भी ठीक समझती हो, उस प्रकार से संस्थान से सम्बद्ध कैसी भी संपत्ति अथवा संस्थान में निहित संपत्ति से इस प्रकार निपटा जाए जिससे संस्थान की वस्तुओं में नवीनता लाई जा सके|

(ट) सरकार से लाभ के लिए उपहार, अनुदान, दान प्राप्त करने हेतु अथवा और दाताओं या अंतरणकर्ताओं से चल और अचल संपत्तियों की प्राप्ति हेतु, जैसे भी परिस्थिति हो|

(ठ) दुनिया के किसी भी हिस्से में शैक्षिक या अन्य संस्थानों के साथ सहयोग करने हेतु जिनके पास पूरी तरह से अथवा आंशिक रूप से संस्थान के समान वस्तुएँ हो, शिक्षकों और विद्वानों के आदान - प्रदान के माध्यम से अथवा आम तौर पर इस तरह से जो की उनकी सामान्य वस्तुओं के लिए अनुकूल हो सकता है।

(ड) फैलोशिप, छात्रवृत्ति, प्रदर्शनी, पुरस्कार और पदक प्रदान करने हेतु|

(ढ) उन सभी चीज़ों को करना जो की आवश्यक है, आकस्मिक अथवा प्रवाहकीय, सभी की प्राप्ति हेतु, अथवा संस्थान की किसी भी वस्तु हेतु|

संगठन और प्रशासन

(क) आई.आई.टी परिषद्

(ख) संचालक मंडल

(ग) प्रबंधकारिणी समिति

(घ) वित्त समिति

(ङ) भवन एवं निर्माण समिति


संगठनात्मक चार्ट

मुख्य कार्यालय का पता

कुल सचिव

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की

रुड़की -247667

दूरभाष - 91-1332-285311, 272430

ई-मेल: registrar@iitr.ac.in

निम्नलिखित अधिकारियों की शक्तियां और कर्तव्य यहां दिए गए हैं:

अध्यक्ष
(1) अध्यक्ष को चयन समिति की सिफारिशों पर उन पदों के संबंध में, जिन पर अधिनियम के प्रावधानों के तहत बोर्ड द्वारा नियुक्तियां की जाती है, एक अधिकारी के प्रारंभिक वेतन को न्यूनतम वेतनमान से अधिक स्तर पर निर्धारित करने की शक्ति होगी ।
(2) अध्यक्ष के पास समय-समय पर परिषद द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों के अधीन संस्थान के कर्मचारियों को प्रशिक्षण या अनुदेशन के लिए भारत के बाहर भेजने की शक्ति होगी ।
(3) अध्यक्ष संस्थान और निदेशक के बीच सेवा के अनुबंध को निष्पादित करेगा। बशर्ते कि अध्यक्ष ऐसे अनुबंध के तहत किसी भी चीज के संबंध में व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं होगा।
(4) आकस्मिक/अप्रत्याशित मामलों में, अध्यक्ष परिषद् की शक्तियों का प्रयोग कर सकता है और परिषद् को उसकी अगली बैठक में इसकी मंजूरी के लिए उसके द्वारा की गई कार्रवाई की सूचना दे सकता है।

निदेशक
(1) विशिष्ट उद्देश्य के लिए किए गए बजट प्रावधानों के अधीन, निदेशक के पास समय-समय पर परिषद् द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार व्यय करने की शक्ति होगी।
(2) निदेशक के पास समय-समय पर परिषद् द्वारा निर्धारित की जाने वाली प्रत्येक वस्तु के लिए इस तरह की सीमा तक के आवर्ती बजट का गठन करने के संबंध में उपयुक्त धनराशि रखने की शक्ति होगी। बशर्ते कि इस तरह के पुन: उपयोग से भविष्य में कोई देयता शामिल नहीं होगी। इस तरह का पुनर्विनियोजन जल्द से जल्द, परिषद् को सूचित किया जाएगा।
(3) विभाग के ऐसे कर्मचारियों हेतु, परिषद् द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाने वाली ऐसी सीमा तक की वसूली को माफ करने की निदेशक के पास शक्ति होगी, जिसके भुगतान का चौबीस महीनों के अंतर्गत पता ना लगाया जा सका हो| इस तरह की हर छूट, जितनी जल्दी हो सके, परिषद् को सूचित की जाएगी।
(4) परिषद् द्वारा नियुक्त स्थायी समिति की सिफारिश पर निदेशक के पास अपूरणीय नुकसानों, भण्डार से खोई अमूल्य वस्तुएं, अथवा ऐसे वस्तुएं जो उपयोग के दौरान टूट-फूट गई हो, को निरस्त करने की शक्ति होगी, ऐसे उद्देश्य जो की वित्तीय सीमा के अधीन है, समय-समय पर परिषद् द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है।
(5) निदेशक के पास चयन समिति की सिफारिश पर, वेतनमान के प्रारंभिक वेतन के न्यूनतम स्तर से अधिक के स्तर पर तय करने की शक्ति होगी, लेकिन पांच से अधिक वेतन वृद्धि शामिल नहीं है, ऐसे पदों के संबंध में जिनके द्वारा नियुक्ति की जा सकती है, जैसा कि परिषद् द्वारा अधिनियम के अनुसार निर्धारित किया गया है।
(6) निदेशक के पास समय-समय पर परिषद् द्वारा निर्धारित की जा सकने वाली आकस्मिक व्यय से जुड़े तकनीकज्ञों और कर्मचारियों को भुगतान करने की शक्ति होगी।
(7) निदेशक के पास प्रशिक्षण हेतु भारत देश के बाहर अनुदेशन के लिए संस्थान के विभाग के सदस्यों को भेजने की शक्ति होगी, ऐसे नियम और शर्तों के अधीन जिन्हें समय-समय पर परिषद् द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
(8) निदेशक को पूर्ण या आंशिक रूप से अनुपयोगी भवनों के लिए किराए में छूट या कमी को स्वीकृति देने की शक्ति होगी।
(9) निदेशक के पास इसके अलावा किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी इमारत के अस्थायी आवंटन को स्वीकृति देने की शक्ति होगी, जिसके लिए इसका निर्माण किया गया था।
(10) कुछ विशेष मामलों में, निधि की उपलब्धता के अधीन, निदेशक के पास अध्यक्ष की स्वीकृति से अस्थायी पद सृजित करने की शक्ति होगी, जो कि दो वर्षों की अवधि से अधिक न हो, वेतन के स्वीकृत पैमानों पर हो, परिषद् को प्रदान की गयी रिपोर्ट के अनुसार ऐसा कोई पद सृजित नहीं होगा जिसमें से निदेशक नियुक्ति प्राधिकारी नहीं है|
(11) निदेशक के पास लेखा संहिता में नियमों के प्रयोजनों हेतु, मौलिक और पूरक नियम हेतु, और सरकार के अन्य नियम जहां तक वे लागू हैं या संस्थान के व्यवसाय के संचालन के लिए लागू हो सकते हैं, विभागाध्यक्ष की शक्ति होगी|
(12) यदि, किसी कारण से, कुल सचिव अस्थायी रूप से एक महीने से अधिक की अवधि के लिए अनुपस्थित है, तो निदेशक स्वयं उनका कार्यभार संभाल सकता है अथवा संस्थान से जुड़े विभाग के किसी भी सदस्य को कार्यभार सौंप सकता है, या सचिव से जुड़े किसी भी कार्य को सौंप सकता है, जैसा भी वह उचित समझे| बशर्ते, यदि किसी भी समय, कुल सचिव की अस्थायी अनुपस्थिति एक महीने से अधिक हो जाती है, तब परिषद् यदि उचित समझे तो निदेशक को उनका कार्यभार सौंप सकता है अथवा जैसा की उपरोक्त है, एक माह की अवधि से ऊपर हो जाने के स्थिति में अधिकृत कर सकता है|
(13) निदेशक, मुख्यालय से अपनी अनुपस्थिति के दौरान, उप निदेशक या डीन या सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर में से एक को, यात्रा भत्ते की अग्रिम मंजूरी हेतु, आकस्मिक और चिकित्सा उपचार हेतु, बिल पर उनके हस्ताक्षर हेतु अधिकृत कर सकता है और उन्हें लिखित रूप में निदेशक की ऐसी शक्तियां संभालने के लिए अधिकृत कर सकता है जो विशेष रूप से उप निदेशक या डीन या वरिष्ठतम प्रोफेसर को ही सौंपी जा सकती हो|
(14) निदेशक अपने समझ से ऐसी समितियों का गठन कर सकता है, जिन्हे वह उचित समझे।
(15) अध्यक्ष की मृत्यु अथवा त्यागपत्र की स्थिति में किसी पद के रिक्त होने की स्थिति में, या कोई अन्य कारण, अथवा अध्यक्ष की अनुपस्थिति, बीमारी या किसी अन्य कारण से अपने कार्यों का निर्वहन करने में असमर्थ होने की स्थिति में, निदेशक, संविधि 8 के तहत अध्यक्ष को सौंपे गए कार्यों का निर्वहन कर सकते हैं।
(16) निदेशक, परिषद् की स्वीकृति के साथ, अपनी किसी भी शक्तियों, जिम्मेदारियों अथवा अधिकारों को अधिनियम और संविधि द्वारा, संस्था के एक या एक से अधिक अकादमिक या प्रशासनिक सदस्यों को सौंप सकता है।


3. उप निदेशक
1. उप निदेशक को निदेशक द्वारा संस्थान के प्रोफेसरों में से अध्यक्ष की पूर्व स्वीकृति के साथ ऐसे नियम और शर्तों पर नियुक्त किया जाएगा, जिन्हें परिषद् द्वारा समय-समय पर तय किया जा सकता है। हालाँकि, समय - समय पर उप निदेशक अतिरिक्त आर्थिक लाभ के हकदार होंगे जैसा भी भारत सरकार द्वारा निर्धारित / अनुमोदित किया गया हो|
2. उप निदेशक अकादमिक और प्रशासनिक कार्यों में व उच्च शिक्षा और अनुसंधान के अन्य संस्थानों और औद्योगिक उपक्रमों और अन्य नियोक्ताओं के साथ संपर्क बनाए रखने में निदेशक की सहायता करेगा।

4. डीन
1. निदेशक अध्यक्ष के परामर्श पर अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के निर्वहन में सहायता के लिए डीन और एसोसिएट डीन नियुक्त कर सकते हैं।
2. निदेशक द्वारा डीन व एसोसिएट डीन को शिक्षकों के बीच से ही नियुक्त किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्षों से अधिक नहीं होंगी| वे निदेशक के अनुमोदन पर ही अपने कार्यालय को संभाल सकते हैं|
3. डीन और एसोसिएट डीन को संस्थान का अधिकारी माना जाएगा और ऐसी शक्तियों का उपयोग एवं उन कर्तव्यों का पालन कर पाएंगे जो कि निदेशक द्वारा बोर्ड के पूर्व अनुमोदन से उन्हें सौंपे गए हो| आमतौर पर एसोसिएट डीन ही संबंधित डीन की उनके कार्यों में सहायता प्रदान कर पाएंगे|
4. समय - समय पर डीन और एसोसिएट डीन अतिरिक्त आर्थिक लाभ के हकदार होंगे जैसा भी भारत सरकार द्वारा निर्धारित / अनुमोदित किया गया हो|


5. विभागाध्यक्ष
(1) विभाग/ केंद्र / विद्यालय / सेवा विभाग का अध्यक्ष ही विभाग / केंद्र / विद्यालय / सेवा विभाग के संपूर्ण कामकाज के लिए जिम्मेदार होगा, जो की सामान्यतः निदेशक के संचालन के अधीन होगा|
2. यह विभाग/ केंद्र / विद्यालय / सेवा विभाग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी होगी कि संस्थान के अधिकारियों और निदेशक के निर्णयों का ईमानदारी से पालन किया जाए| वह ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करेगा जो निदेशक द्वारा उसे सौंपे जा सकते हैं।


6. कुल सचिव
(1) 1. प्रत्येक संस्थान के कुल सचिव को ऐसे नियम और शर्तों पर नियुक्त किया जाएगा, जिन्हें संविधि द्वारा निर्धारित किया जा सकता है, और वह अभिलेखों, मोहरों, संस्थान निधि व ऐसी अन्य संपत्ति का संरक्षक होगा, जिसे परिषद् द्वारा उनके अधिकार में सौपा जाएगा|
2. कुल सचिव, परिषद्, सीनेट और ऐसी समितियों के सचिव के रूप में कार्य करेगा, जैसा की संविधि द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
3. कुल सचिव अपने कार्यों के उचित निर्वहन के लिए निदेशक के प्रति उत्तरदायी होगा।
4. कुल सचिव ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग व इस तरह के अन्य कर्तव्यों का पालन कर सकता है, जो कि उसे इस अधिनियम, संविधि अथवा निदेशक द्वारा सौंपा गया हो|

संस्थान में निदेशक, उप निदेशक, 10 डीन, 26 विभागाध्यक्ष और कुलसचिव हैं, जो संस्थान के विभिन्न कार्यों को पूरा करते हैं। डीन, उप निदेशक, सभी विभागाध्यक्ष व कुलसचिव निदेशक को रिपोर्ट करते हैं| उप कुलसचिव/सहायक कुलसचिव अपने कार्य विभाजन अनुसार डीन/कुलसचिव को रिपोर्ट करते हैं| आवश्यक शक्तियां डीन, सभी विभागध्यक्षों और कुल सचिव को सौंप दी गई हैं, जो अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं।

निम्नलिखित नियमावली / दस्तावेज विभिन्न निर्णय लेने में अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं का विवरण देते हैं

संस्थान प्रौद्योगिकी अधिनियम 1961

आई.आई.टी. रुड़की संविधि (अंग्रेज़ी संस्करण) / आई.आई.टी. रुड़की संविधि (हिंदी संस्करण) / संशोधित आँकड़े 9 (1) और 14 (2) / संशोधित आँकड़े 10 (1) और 11 (4)

सीनेट नियमावली

सीनेट नियमावली (हिंदी)

नए खरीद नियम

चिकित्सा उपस्थिति और उपचार नियम

अवकाश और अवकाश नियम (संशोधित) / अवकाश और अवकाश नियम

निवास आवंटन नियम

आचरण नियम

केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित राजपत्र के अनुसार एक केंद्रीय निकाय है जिसे आई.आई.टी. परिषद् कहते हैं [अधिनियम की धारा 31(क)] केंद्र सरकार में तकनीकी शिक्षा के प्रभारी मंत्री इस परिषद के पदेन अध्यक्ष होंगे [अधिनियम की धारा 31(2क)]

परिषद में संसद के तीन सदस्य होंगे। इनमें से दो लोकसभा द्वारा अपने सदस्यों के बीच से ही चुने जाएंगे और एक राज्यसभा द्वारा उसके सदस्यों के बीच से चुने जाएंगे [अधिनियम की धारा 31 (2ञ)]। परिषद् के कृत्यों का वर्णन प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम में है।

परिषद में संसद के तीन सदस्य होंगे। इनमें से दो लोकसभा द्वारा अपने सदस्यों के बीच से ही चुने जाएंगे और एक राज्यसभा द्वारा उसके सदस्यों के बीच से चुने जाएंगे [अधिनियम की धारा 31 (2ञ)]। परिषद् के कृत्यों का वर्णन प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम में है।

केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित राजपत्र के अनुसार एक केंद्रीय निकाय है, जिसे परिषद् कहा जाता है [अधिनियम की धारा 31(1)]

केंद्र सरकार में तकनीकी शिक्षा के प्रभारी मंत्री परिषद् के पदेन अध्यक्ष होंगे [अधिनियम की धारा 31(2क)]।

केंद्र सरकार द्वारा प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम के तीसरे अध्याय के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के बाद यथाशीघ्र, संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाना अपेक्षित है। यह उस समय रखा जाए जबकि सत्र कुल तीस दिनों के लिए चल रहा हो। ये तीस दिन एक या दो सत्रों में अथवा इससे अधिक सत्रों में कुल मिलाकर हो सकते हैं। जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है, यदि सत्र के समापन के पूर्व सत्र के तुरंत पश्चात अथवा अगले सत्र में, दोनों सदन नियम में किसी संशोधन पर सहमति जताएँ, या दोनों सदन इस विचार पर सहमत हों कि यह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए, तो नियम केवल उसी संशोधित रूप में ही प्रभावी होगा या फिर निष्प्रभावी हो जाएगा, जैसा भी सुनिश्चित हुआ हो। [अधिनियम की धारा 35(3)]

संस्थान के खातों को भारत के सी.ए.जी. द्वारा प्रमाणित रूप में लेखा परीक्षा आख्या के साथ वार्षिक आधार पर केंद्र सरकार को अग्रेषित किया जाना अपेक्षित है। तत्पश्चात सरकार इन्हें दोनों सदनों के समक्ष रखे जाने की व्यवस्था बनाती है। [अधिनियम की धार 23(4)]

परिषद, सीनेट, वित्त समिति तथा भवन एवं निर्माण समिति का विवरण संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा।

संस्थान के संकाय सदस्यों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले मासिक पारिश्रमिक के विवरण का अनुरक्षण लेखा अनुभाग द्वारा किया जाएगा। संस्थान के संकाय सदस्यों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मासिक पारिश्रमिक सरकार द्वारा स्वीकृत वेतनमान के अनुसार होंगे।

मासिक पारिश्रमिक

शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मासिक पारिश्रमिक एवं क्षतिपूर्ति की व्यवस्था

मार्च 2023

फरवरी 2023

जनवरी 2023

दिसम्बर 2022

नवम्बर 2022

ओक्टोबर 2022

सेप्तेम्बर 2022

अगस्त 2022

जुलाई 2022

जून 2022

मई 2022

अप्रैल 2022

मार्च 2022

सरकार द्वारा गैर योजना बजट एवं योजना बजट का आबंटन तथा उन विभिन्न मदों का विवरण, जिनके अंतर्गत उनका उपयोग किया गया, लेखा विभाग द्वारा रखा जाता है तथा संस्थान के खातों के वार्षिक विवरण में उन्हें उपलब्ध कराया जाता है।

कुल आय एवं व्यय का सारांश 2022-23

लेखा परीक्षा प्रमाण पत्र 2022-23

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए तुलन-पत्र

अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के छात्रों को प्रदान की जाने वाली अनुदान:

1. भारत सरकार की अधिसूचना के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के स्नातक छात्रों को निम्नलिखित सुविधाएं दी गई हैं –

(क) सभी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति छात्रों को ट्यूशन शुल्क में छूट, माता - पिता/ अभिभावक की आय को ध्यान में न रखते हुए|

2. कमरा किराया छूट|

3. (i) (i) यू.जी. / पी.जी. / पी.एच.डी. कार्यक्रम
(ii) छात्रवृत्ति, पुरस्कार और पारितोषक

(ii) इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट के हेतु, स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश के हेतु, कृपया निम्नलिखित वेबसाइट पर जाएँ| www.gate.ac.in/gate

iii. स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (उन्नत) के लिए, निम्नलिखित वेबसाइट पर जाएं www.jeeadv.ac.in

(iv) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति छात्रों के लिए एक वर्ष की अवधि का एक प्रारंभिक पाठ्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिससे कि, उन्हें चार साल के बी.टेक और पांच साल के बी.आर्क / आई.डी.डी./ एकीकृत एम.एस.सी / एम. टेक. कार्यक्रम के पहले वर्ष में सीधे प्रवेश के लिए तैयार किया जा सके।

संस्थान ने छात्रों और कर्मचारियों के लिए बैंक / ए.टी.एम., पोस्ट ऑफिस और रेलवे आरक्षण काउंटर तक सीमित बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाया है। यह सुविधाएं जनता के लिए भी खुली हैं।

सम्बद्ध जानकारी संस्थान के लोक सूचना अधिकारी से किसी भी नागरिक द्वारा प्राप्त की जा सकती है। संस्थान का पुस्तकालय मुख्य रूप से संकाय, अधिकारियों, छात्रों और संस्थान के कर्मचारियों के लिए है। सभी कार्य दिवसों पर पुस्तकालय सुबह 8.45 से दोपहर 12.00 बजे तक खुला रहता है।

सूचना के प्रसार के लिए संस्थान द्वारा निम्नलिखित तरीके भी अपनाए जाते हैं -

वेबसाइट (www.iitr.ac.in)

पुस्तकालय समाचार पत्र

सूचना पट्ट

मुद्रित नियमावली

1. संस्थान के जन लोक सूचना अधिकारी है:

श्री अभिषेक कुमार
उप कुलसचिव और एवं लोक सूचना अधिकारी
नोडल अधिकारी - ऑनलाइन आर.टी.आई. पोर्टल
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की,
रुड़की -247667 (उत्तराखंड),
टेलीफोन: (01332) 4822,
ई-मेल: pio@iitr.ac.in

2. संस्थान के सहायक जन सूचना अधिकारी हैं:

(a) श्री गोपाल कुमार रस्तोगी
Finance Officer
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की
टेलीफोन: (01332) 285789

         

(b) डॉ० श्याम नारायण
संयुक्त कुलसचिव (संपदा एवं सहारनपुर परिसर)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुडकी
टेलीफोनः (01332) 285535

 

(c) डॉ० शीबा रमोला
उप कुल सचिव (प्रशासन सामग्री प्रबंधन)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की
टेलीफोन: (01332) 284886

   

(d) श्री आर.के. शर्मा
सहायक कुल सचिव (मूल्यांकन)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की
टेलीफोन: (01332) 286569

 

(e) श्री दिलीप कुमार टोपो
सहायक कुलसचिव (आई.डब्लू.डी.)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की
टेलीफोन: (01332) 284825

 

(f) श्री जैन सिंह
सहायक कुलसचिव (वित्त एवं लेखा)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की
टेलीफोन: (01332) 28443

 

(g) श्री ललित कुमार
सहायक कुलसचिव (आंतरिक लेखा)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की
टेलीफोन: (01332) 285125

 

(h) श्री जितेंदर डिमरी
सहायक कुलसचिव (स्रिक)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की
टेलीफोन: (01332) 285561

 

(i) श्री बने सिंह मीना
सहायक कुल सचिव (विधि एवं सामान्य प्रशासन)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की
टेलीफोन: (01332) 4881

(j) श्री महावीर सिंह
सहायक कुलसचिव (डी.ओ.एस.डब्ल्यू)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की
टेलीफोन: (01332) 285550