राजभाषा प्रकोष्‍ठ के बारे में

• 21 सितंबर 2001 को भारत सरकार ने एक अध्यादेश के द्वारा, 150 वर्ष से भी अधिक पुराने रूड़की विश्वविद्यालय को, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के रूप में रूपांतरित कर दिया ।

• रूड़की विश्वविद्यालय अपनी हिंदी गतिविधियों के लिए पहले से ही विख्यात था । यहाँ 1980 से प्रतिवर्ष न केवल हिंदी दिवस समारोह का भव्य आयोजन ही किया जा रहा था, बल्कि 1950 के दशक से ही अनेक बार वैज्ञानिक एवं तकनीकी विषयों पर हिंदी में राष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन भी किया जा चुका था ।

• भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के प्रथम निदेशक प्रोफेसर प्रेमव्रत जी ने कार्यभार ग्रहण करते ही अपनी ओर से पहल करते हुए संस्थान में हिंदी प्रकोष्ठ की स्थापना प्रक्रिया प्रारंभ कराई, जिसके परिणामस्वरूप संस्थान में हिंदी की प्रोफेसर आशा कपूर, जन सम्पर्क अधिकारी श्री मधुरजी एवं जन सम्पर्क विभाग से ही श्री पराग कुमार चतुर्वेदी को लेते हुए 31 जनवरी 2002 को हिंदी प्रकोष्ठ की स्थापना हुई ।

• हिंदी कार्यों में अपनी सक्रिय रुचि के कारण ये तीनों ही हिंदी प्रकोष्ठ के लिए काफी उपयोगी साबित हुए ।

• प्रोफेसर आशा कपूर ने वार्षिक हिंदी पत्रिका ‘मंथन’ के प्रकाशन की शुरुआत और प्रतिवर्ष इसके प्रकाशित होने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपनी सेवानिवृत्ति के पश्चात प्रोफेसर आशा कपूर ने हिंदी में अधिकाधिक कार्य करने वाले संस्थान कार्मिक को 10,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिए जाने के लिए संस्थान में एक कोष की स्थापना हेतु समुचित धनराशि दान में दी ।

• श्री मधुरजी ने अपने व्यक्तिगत प्रयासों से हिंदी के ख्यातिप्राप्त साहित्यकारों को हिंदी दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में संस्थान में बुलाने तथा हिंदी दिवस पर प्रतिवर्ष भव्य हिंदी कविता सम्मेलन का आयोजन कराने में अपना विशेष योगदान दिया ।

• श्री पराग कुमार चतुर्वेदी अनुवाद कार्यों से जुड़े रहे, संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन, वार्षिक लेखा रिपोर्ट तथा सभी दस्तावेजों, प्रपत्रों आदि के हिंदी करण में इनकी विशेष भूमिका रही । 2005 तक हिंदी प्रकोष्ठ द्वारा प्रतिवर्ष संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन भी किया जाता रहा ।

• 2005 में माननीय संसदीय राजभाषा समिति द्वारा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के हिंदी कार्यों का निरीक्षण किया गया तथा समिति ने संस्थान के इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की ।

• 2009 में संस्थान में कम्प्यूटर और हिंदी विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें पूरे भारत से आए 125 से भी अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया ।

• 2011 में माननीय संसदीय राजभाषा समिति द्वारा दूसरी बार संस्थान के हिंदी प्रगति संबंधी कार्यों का निरीक्षण किया गया ।

• 2012 में संस्थान में विदेशी छात्रों के लिए हिंदी की कक्षाएं प्रारम्भ करवायीं तथा पीएचडी शोध का 100 शब्दों में हिंदी में सार लिखे जाने का प्रयास किया गया।

• 2016 से प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा हैं, जिसके तहत संस्थान छात्रों को मातृभाषा मे लिखने के लिए प्रेरित किया जाता हैं।

• 2019 में माननीय संसदीय राजभाषा समिति द्वारा तीसरी बार संस्थान के हिंदी प्रगति संबंधी कार्यों का निरीक्षण किया गया ।

• संस्थान के वर्तमान निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने अक्टूबर 2022 में कार्यभार ग्रहण किया है । संस्थान राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष के रूप में उनके निदेशन में संस्थान में हिंदी प्रगति कार्य अबाध रूप से सम्पादित हो रहे हैं ।

• जुलाई 2022 में यान्त्रिकी अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर कृष्ण मोहन सिंह को हिंदी प्रकोष्ठ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है ।

• 2023 में माननीय संसदीय राजभाषा समिति द्वारा चौथी बार संस्थान के हिंदी प्रगति संबंधी कार्यों का निरीक्षण किया गया ।

• प्रतिवर्ष संस्थान कार्मिकों के लिए हिंदी भाषा प्रशिक्षण तथा हिंदी टंकण कक्षाओं का आयोजन किया जा रहा हैं।